मदरसों की मैपिंग न करने पर सभी DM दिल्ली तलब, बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जारी किया समन
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पिछले दिनों देहरादून के कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण में उन्होंने पाया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से बच्चों को यहां लाकर मदरसों में पढ़ाया जा रहा है।
उत्तराखंड में मदरसों की मैपिंग न करने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। छह जिलों के जिलाधिकारियों को सात जून और अन्य को 10 जून को आयोग में पेश होना होगा। बिना किसी वैध वजह के आयोग में पेश न होने पर संबंधित के खिलाफ सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पिछले दिनों देहरादून के कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण में उन्होंने पाया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से बच्चों को यहां लाकर मदरसों में पढ़ाया जा रहा है। मदरसों के निरीक्षण के बाद आयोग ने बच्चों के अधिकारों से जुड़े मसले पर विभिन्न 14 विभागों के साथ बैठक की।
13 मई को हुई बैठक में यह बात सामने आई कि राज्य में मदरसों की मैपिंग में जिलाधिकारियों की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है। आयोग ने इस मामले में अब सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से जारी समन में कहा गया कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से आयोग के ध्यान में लाया गया कि बार-बार पत्राचार के बावजूद मदरसों की मैपिंग की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इससे पहले आयोग ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को मदरसों की मैपिंग करने एवं औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए सभी बच्चों के विद्यालयों में दाखिला कराने के मसले पर पिछले साल नौ नवंबर को आयोग में पेश होने के लिए समन जारी किया था। सुनवाई में मदरसा बोर्ड के उप रजिस्ट्रार आयोग में पेश हुए, लेकिन उनकी ओर से प्रस्तुत साक्ष्य और कथन संतोषजनक नहीं था।
मंत्री और सीएम ने भी दिए थे निर्देश
प्रदेश के मदरसों की जांच के लिए पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री चंदन रामदास भी अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अब तक मदरसों की जांच नहीं हुई।
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