देश के यूनिफार्म सिविल कोड पर एक और बड़ी ख़बर-
लॉ कमीशन ने UCC का basic framework तैयार किया।
“देश के UCC में Gender Equality पर सबसे अधिक ज़ोर
मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गुजारा भत्ता का अधिकार, pendency of suits के दौरान भी मिलेगा गुजारा भत्ता
मुस्लिमों में शरीयत एक्ट 1937 के तहत उत्तराधिकार संबंधित विवाद का निपटारा होता है पर यूनिफार्म सिविल कोड इसकी इजाज़त नहीं देगा। मुस्लिम महिला को बराबर की हिस्सेदारी।
HUF पर कोई रोक नहीं होगी। ये एक टैक्सेशन का प्रावधान है जो पहले की ही तरह क़ायम रहेगा।
ट्राइबल्स को पर्सनल लॉज़ में मामलों में रियायत दी जाएगी।
Compulsory registration of marriage का प्रावधान। सभी को शादियाँ रजिस्टर्ड करनी होंगी पर ट्राइबल्स को मिलेंगी ज़रूरी रियायतें
Live in रिलेशनशिप का ज़िक्र नहीं होगा। इसे discourage किया जाएगा।
बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक।
इद्दत और हलाला पर भी रोक।
उत्तराधिकार में लड़की और लड़के दोनों को बराबर का हिस्सा
सभी को मिलेगा adoption का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा अधिकार।
शादी की उम्र 21 और 18 साल ही रखने पर सहमति।
तलाक़ के एक जैसे आधार होंगे। जो आधार पुरुष के लिए होगा, वही स्त्री के लिए भी।
guardianship से जुड़े क़ानूनो को आसान किया जाएगा
पूजा, नमाज़ और शादी विवाह के तौर तरीक़ों पर कोई रोक नहीं, सभी अपने धार्मिक नियमों का पालन कर सकेंगे।”
लॉ कमीशन को अब तक क़रीब 9.5 लाख सुझाव मिले। बहुत बड़े बहुमत से सुझाव UCC के हक़ में।
इन सुझावों के आधार पर इस बेसिक फ्रेमवर्क में और भी ज़रूरी संशोधन किए जाएँगे
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