उत्तराखंड में निकाय चुनाव के बाद धामी सरकार दायित्वों का पुनर्गठन कर सकती है, क्योंकि राज्य के विभिन्न आयोगों और धार्मिक संस्थाओं के अध्यक्ष पद पर नियुक्तियां खाली हो गई हैं। राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्षों का कार्यकाल इस सप्ताह समाप्त हो गया है, वहीं श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल भी खत्म हो गया है।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना का कार्यकाल 6 जनवरी 2025 को समाप्त हुआ। उन्हें 6 जनवरी 2022 को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और उनके साथ आयोग के छह सदस्य भी नियुक्त किए गए थे, जिनका कार्यकाल भी अब समाप्त हो गया है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल और श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल भी इसी दिन पूरा हुआ।
इसके अलावा, उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद की कुर्सी दिसंबर 2023 से खाली पड़ी है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा दो उपाध्यक्षों की कुर्सियां भी खाली हैं। उपाध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह का कार्यकाल अप्रैल 2024 में समाप्त हुआ था, जबकि उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब का कार्यकाल सितंबर 2024 में खत्म हो गया था।
इस समय राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है,
जो निकाय चुनाव की प्रक्रिया के कारण प्रभावी है। हालांकि, आचार संहिता खत्म होते ही सरकार इन खाली पदों पर नियुक्तियां कर सकती है। इन नियुक्तियों से सरकार को अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि धामी सरकार इन पदों पर किन नए चेहरों को नियुक्त करती है, खासकर उन आयोगों और धार्मिक संस्थाओं में जहां नेतृत्व का संकट गहरा गया है।
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