#राजनीति की भी कैसी माया है? #आम मैंने खाया और राजनीतिक मुंहपके के बीमार कुछ और लोग हो गये। मैंने दिन के उजाले में आम खाया है। मैं रात के अंधेरे में मुख्यमंत्री जी के पास अपना या अपने करीबी का क्रेसर बचाने के लिए नहीं गया, न मैंने लोकसभा के चुनाव में चुप्पी साधने का किसी को वचन दिया!
राजनीति के अंदर राजनीतिक सौहार्द और शिष्टाचार को आगे बढ़ाने की पहल मैं नहीं करूंगा तो फिर इस राज्य के अंदर उस व्यक्ति का नाम बताइए जो इस पहल को करेगा? एक-दो ही लोग हैं जिनको इस तरीके की पहल प्रारंभ करनी चाहिए और दोनों तरफ से करनी चाहिए। राजनीति सिद्धांतों, विचारों और परिश्रम का खेल है
। मैं उन लोगों से सीख नहीं लेना चाहूंगा, जिन लोगों ने विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए सल्ट के उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ खुलेआम काम कर सल्ट में जी-तोड़ मेहनत कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का अपमान किया था। मैं तो 57 साल से कांग्रेस की राजनीति में एक निष्ठ भाव से एक ही स्थान पर खड़ा हूं और जो स्थान बदलने के विषय में माहिर हैं। जिनके विषय में कहां नहीं जा सकता है कि आज कहां हैं और कल कहां होंगे? ऐसे लोग कम से कम मुझे पार्टी की निष्ठा के संबंध में उपदेश न दें तो अच्छा रहेगा।
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