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Big breaking :-मालन पुल के एक स्लैब को किया लिफ्ट, दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर जैक लगाकर किया शिफ्ट

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मालन पुल के एक स्लैब को किया लिफ्ट, दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर जैक लगाकर किया शिफ्टमालन पुल को नए सिरे से बनाने के लिए इसके सभी 12 स्लैब सुरक्षित तरीके से हटाए जाने हैं। अब पुल के एक स्लैब को लोनिवि दुगड्डा और उसकी कार्यदायी एजेंसी ने मिलकर जैक सिस्टम के जरिये सुरक्षित शिफ्ट कर दिया।देर से ही सही लोनिवि दुगड्डा को मालन पुल के एक स्लैब को लिफ्ट कर सुरक्षित शिफ्ट करने में कामयाबी मिल गई है।

 

 

दिल्ली के मैट्रो रेल के ‘पैनल लिफ्ट व शिफ्ट’ करने में अपनाई जाने वाली यह तकनीक उत्तराखंड में सड़क व पुल के मामले में पहली बार अपनाई जा रही है। यही वजह है कि इसकी टेस्टिंग से लेकर उसे सुरक्षित तरीके से हटाने में करीब पांच सप्ताह (37 दिन) का समय लग गया। पहले स्लैब को सुरक्षित तरीके से हटाने के बाद अब अन्य स्लैब को हटाने का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि बरसात के दौरान भी सभी काम चलते रहेंगे।दरअसल, मालन पुल को नए सिरे से बनाने के लिए इसके सभी 12 स्लैब सुरक्षित तरीके से हटाए जाने हैं। एक स्लैब हटाने की लागत एक करोड़ के करीब पड़ती है। उत्तराखंड में 25 मीटर डबल लेन चौड़ाई के भारी भरकम स्लैब को हटाने के लिए लोनिवि ने मैट्रो रेल की तर्ज पर इसे हटाने की डीपीआर बनाकर तैयार की थी।

 

 

 

अब शनिवार को मालन पुल के एक स्लैब को लोनिवि दुगड्डा और उसकी कार्यदायी एजेंसी ने मिलकर जैक सिस्टम के जरिये सुरक्षित शिफ्ट कर दिया। वहीं अधिशासी अभियंता डीपी सिंह बताते हैं कि सड़क व नदी से स्लैब हटाने में कई टेस्टिंग करनी पड़ीं।पहले स्लैब को हटाने में मिली कामयाबी से उत्साहित कार्यदायी एजेंसी को अब अन्य स्लैब हटाने के काम में तेजी लाने को कहा गया है। कहा कि बरसात में भी वेल तकनीकी पर पिलर का निर्माण जारी रहेगा। क्षतिग्रस्त पुल के नदी में गिरे हुए स्लैब को तोड़कर हटाया जा रहा है ताकि नदी उफनाए तो उसका बहाव न रुके।

 

 

इस बरसात में भी जनता झेलेगी परेशानी
भाबर की लाइफ लाइन कोटद्वार-हल्दूखाता-चिलरखाल मार्ग पर मोटाढाक में स्थित मालन पुल को टूटे हुए करीब साढ़े ग्यारह महीने हो चुके हैं। अब फिर से मानसून आने वाला है। ऐसे में बरसात में नदी के उफान से जमा मलबे से नदी का रुख डायवर्ट होने और कार्यदायी एजेंसी का सामान बहने का भी खतरा बना है। बरसात के खतरे को देखते हुए लोनिवि अब नदी में गिरे पुल के स्लैब को हटाने में जुट गया है। बहरहाल इस बरसात में भी भाबर की करीब 50 हजार की आबादी, सिडकुल कर्मी, नौकरीपेशा लोगों को वैकल्पिक मार्गों से ही आवाजाही करनी पड़ेगी।

 

 

 

कब क्या हुआ
चिलरखाल-सिगड्डी कोटद्वार मार्ग पर स्थित मालन नदी में 13 जुलाई, 2023 को 325 मीटर स्पान के पुल का एक पिलर धंसने के बाद पुल टूटकर नदी में जा गिरा था। पुल पर सभी 12 पिलर का नए सिरे से वेल तकनीक पर निर्माण व सुरक्षा के लिए शासन की ओर से 26.76 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। बीते 2 फरवरी को पुल निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ था। विभाग को पुल के स्लैब लिफ्टिंग का सामान जुटाने में ही काफी समय लग गया। बीती 15 मई से क्षतिग्रस्त ढांचे के पहले स्लैब को हटाने की कवायद शुरू हुई थी जो 22 जून को पूरी हुई।

 

 

 

पुल के पहले स्लैब को हटाने में कामयाबी मिल गई है। अब कार्य तेजी से कर दूसरे स्लैब को हटाने के साथ ही पिलर के लिए फाउंडेशन का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। इस साल के दिसंबर माह तक पुल का निर्माण पूरा कर आवागमन शुरू कराने का लक्ष्य रखा गया है।
– डीपी सिंह, अधिशासी अभियंता लोनिवि दुगड्डा।

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Author: Swati Panwar
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