प्रदेश में अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के लिए कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव, इन बिंदुओं पर चर्चा
शिक्षकों की अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में तैनाती की गई, लेकिन एक ही विभाग में शिक्षकों के लिए दो तरह की व्यवस्था बनी है। सुगम क्षेत्र में तैनात इन स्कूलों के शिक्षकों की सेवा जहां दुर्गम क्षेत्र में जोड़ी जा रही, वहीं दुर्गम क्षेत्र के शिक्षकों की एक साल की सेवा को दो साल की दुर्गम की सेवा के रूप में जोड़ा जा रहा है।
प्रदेश के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव आएगा। इन विद्यालयों को सीबीएसई या उत्तराखंड बोर्ड से चलाया जाए, विद्यालय का माध्यम अंग्रेजी व हिंदी रखने एवं शिक्षकों की तैनाती के लिए विभाग से प्रस्ताव मांगा गया है।
प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में से हर ब्लॉक में दो विद्यालयों को वर्ष 2020 में अटल उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में चलाने की मंजूरी मिली थी। तय किया गया था कि राज्य के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में से अपने संवर्ग में कार्यरत शिक्षकों का स्क्रीनिंग परीक्षा के माध्यम से इन विद्यालयों के लिए चयन किया जाएगा।
चयन के बाद विभाग से ही शिक्षकों की इन स्कूलों में तैनाती की गई, लेकिन एक ही विभाग में शिक्षकों के लिए दो तरह की व्यवस्था बनी है। सुगम क्षेत्र में तैनात इन स्कूलों के शिक्षकों की सेवा जहां दुर्गम क्षेत्र में जोड़ी जा रही, वहीं दुर्गम क्षेत्र के शिक्षकों की एक साल की सेवा को दो साल की दुर्गम की सेवा के रूप में जोड़ा जा रहा है।
उत्तराखंड बोर्ड से इसे लेकर सुझाव लिए गए थे
पूर्व में कुछ विद्यालयों का रिजल्ट ठीक न होने पर इन विद्यालयों की सीबीएसई से संबद्धता को लेकर सवाल खड़े हुए थे। इसके बाद विभाग की ओर से सभी 189 विद्यालयों से इन विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से चलाया जाए या फिर उत्तराखंड बोर्ड से इसे लेकर सुझाव लिए गए थे।
बताया गया कि अधिकतर विद्यालयों के सुझाव मिले हैं कि उन्हें पहले की तरह उत्तराखंड बोर्ड से संबद्ध किया जाए। विद्यालय किस बोर्ड से संबद्ध किए जाएंगे, इसे लेकर काफी समय बाद भी स्थिति स्पष्ट न करने से छात्र-छात्राओं में असमंजस की स्थिति बनी है।
प्रदेश के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के मसले पर विभाग से प्रस्ताव मांगा गया है, जिसे कैबिनेट में लाया जाएगा। -डाॅ. धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री
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