चीन-नेपाल सीमा से सटे 91 गांव बनेंगे मॉडल विलेज, बढ़ेंगी सुविधाएं और रोजगार के मिलेंगे अवसर
पहले चरण में भारत-चीन सीमा के 51 गांव चयनित किए गए थे। इसमें उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में 10 गांव, चमोली के जोशीमठ ब्लॉक में 14 गांव, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी ब्लॉक में आठ, धारचूला में 17, कनालीछीना में दो गांव शामिल हैं।
वाइब्रेंट विलेज योजना में चीन व नेपाल से सटे गांवों को मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा। इन गांवों में अवस्थापना विकास कार्यों से स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार आने के साथ पर्यटन व रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने वाइब्रेंट विलेज योजना की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को चयनित 91 गांवों के समग्र विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने के निर्देश दिए। केंद्र सरकार ने सीमांत गांवों में बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण, आजीविका सृजन और आबादी को रोकने के उद्देश्य से वाइब्रेंट विलेज योजना में अब तक भारत-चीन एवं भारत-नेपाल सीमा से सटे कुल 91 गांवों का चयन किया गया है।
पहले चरण में भारत-चीन सीमा के 51 गांव चयनित किए गए थे। इसमें उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में 10 गांव, चमोली के जोशीमठ ब्लॉक में 14 गांव, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी ब्लॉक में आठ, धारचूला में 17, कनालीछीना में दो गांव शामिल हैं। इन गांवों में आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने, संपर्क मार्गों के निर्माण, स्थानीय संस्कृति एवं पर्यटन के प्रसार व आधुनिक सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार ने 520.13 करोड़ का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा था।
इसमें 110 करोड़ की राशि मिल चुकी है। दूसरे चरण में भारत नेपाल सीमा के 40 गांव योजना में शामिल किए गए। इसमें चंपावत में 11 गांव, पिथौरागढ़ में 24 गांव, ऊधमसिंह नगर जिले के छह गांव है। योजना में पिथौरागढ़ जिले में पीएमजीएसवाई की पांच सड़कों के निर्माण के लिए 119.44 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।
ग्राम्य विकास मंत्री जोशी ने वाइब्रेंट विलेज योजना राज्य के दूरस्थ गांवों में आधुनिक सुविधाएं, स्थायी आजीविका, कृषि-बागवानी, सुरक्षित वातावरण और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी। योजना के पूर्ण क्रियान्वयन से पलायन पर नियंत्रण और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी।

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