38वें राष्ट्रीय खेल: 18 दिन शेष, खेल संघों के विवाद और बचे काम निपटाने के लिए GTCC ने संभाला मोर्चा
खेल संघों के विवाद और बचे काम निपटाने के लिए जीटीसीसी ने मोर्चा संभाल लिया है। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन तक जीटीसीसी के मेंबर तैनाती बनाए रखेंगे।
38वें राष्ट्रीय खेलों में सिर्फ 19 दिन बाकी हैं लेकिन अब भी कुछ खेलों की तैयारियां आधी-अधूरी होने की वजह से भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के निर्देश पर गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी (जीटीसीसी) ने देहरादून आकर मोर्चा संभाल लिया है। आईओए ने तय किया है कि खेल आयोजन होने तक जीटीसीसी के कुछ मेंबर देहरादून स्थित खेल सचिवालय में बने रहेंगे। यदि खेल संघ समय रहते ट्रायल कैंप लगाने या अन्य तैयारियों में असमर्थ रहे अथवा खेल निदेशालय की तैयारियों में कोई कमी रही तो जीटीसीसी अंतिम निर्णय लेगी ताकि खेल आयोजन में कोई रुकावट न आए।
इस सिलसिले में जीटीसीसी अध्यक्ष सुनैना कुमारी बुधवार देहरादून पहुंच गईं। उनके साथ एक अन्य सदस्य भी हैं। उनके साथ खेल निदेशालय के उच्च अधिकारियों की लगातार बैठकें हुई हैं। बृहस्पतिवार को भी बैठकों का दौर जारी रहेगा। अध्यक्ष सुनैना ने बताया कि फिलहाल यह कह सकते हैं कि खेल तैयारियां आगे बढ़ रही हैं, इसी संबंध में आज और कल बैठक होनी हैं। जल्द सभी तैयारियों को पूरा करके खेलों का भव्य आयोजन किया जाएगा।
जमीनी तस्वीर चिंताजनक
दूसरी ओर जमीनी तस्वीर कुछ चिंताजनक नजर आ रही है। अभी तक एथलेटिक्स ट्रेक, गोल्फ, ताइक्वांडो और स्वीमिंग समेत कुछ खेलों की तैयारियां अधूरी या अधर में नजर आ रही हैं। एफआरआई में गोल्फ कराने का प्रस्ताव था, लेकिन वहां नौ होल वाला मैदान है, जबकि मैदान 18 होल वाला चाहिए। ऐसे में खेल निदेशालय की आखिरी उम्मीद पौंधा में बन रहे एक निजी मैदान से हैं, लेकिन वह भी अभी तक फाइनल नहीं हुआ है। इस कारण गोल्फ का ट्रायल कैंप भी नहीं लग सका है।
गोल्फ के खेल संघ में भी विवाद है। इसी तरह हल्द्वानी में स्वीमिंग पूल में पानी गर्म कराने का सिस्टम लगाया जा रहा है, जो अभी तक ट्रायल पर है। देहरादून के महाराणा प्रताप स्टेडियम में एथलेटिक्स ग्राउंड को फिर से तैयार किया जा रहा है, जिसकी डेडलाइन 31 दिसंबर थी, पर वह निकल चुकी है, काम अभी भी जारी है।
ताइक्वांडो और गोल्फ के खेल संघों के भीतर विवादों की वजह से उनके कैंप तक नहीं लगे हैं। कुछ खेलों के उपकरणों की खरीद भी नहीं हुई है, जिसके लिए 10 जनवरी की डेडलाइन है। ऐसे में जीटीसीसी के सदस्यों को लगातार खेल सचिवालय में मौजूद रखने का निर्णय लिया गया है, ताकि सभी विवादों और अधूरी तैयारियों पर जीटीसीसी अंतिम निर्णय ले सकें।
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