*स्वास्थ्य विभाग में 300 चिकित्सकों की और होगी भर्तीः डाॅ. धन सिंह रावत*
*लम्बे समय से गैरहारिज 56 बाॅण्डधारी डाॅक्टरों की सेवाएं समाप्त*
*कहा, लापरवाह चिकित्सकों के भरोसे नहीं छोड़ सकते हेल्थ सिस्टम*
देहरादून,
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 300 और चिकित्सकों की शीघ्र भर्ती की जायेगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजने के निर्देश दे दिये हैं। इसके अलावा विभाग में लम्बे समय से गैरहाजिर चल रहे 56 बाॅण्डधारी डाॅक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है। सेवा से बर्खास्त इन चिकित्सकों से मेडिकल काॅलेज को अनुबंध के अनुरूप बाॅंड की धनराशी वसूलने के निर्देश भी दे दिये गये हैं।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में चिकित्साधिकारी (बैकलॉग) के 220 पदों पर डाॅक्टरों की भर्ती की गई, जिनको प्रदेश के सुदूरवर्ती स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनाती भी दे दी गई है। इसके अलावा विभाग में चिकित्सकों के करीब 300 पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों पर शीघ्र भर्ती के लिये विभागीय अधिकारियों को रोस्टर तैयार कर उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजने के निर्देश दे दिये गये हैं, ताकि चयन बोर्ड समय पर भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कर विभाग को नये चिकित्सक उपलब्ध करा सके।
विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर हेल्थ सिस्टम तैयार करने में जुटी है, जिसके तहत सरकार सुदूरवर्ती क्षेत्रों की स्वास्थ्य इकाईयों में ढ़ांचागत व्यवस्थाओं से लेकर चिकित्सकों की तैनाती भी कर रही है, ताकि आमजन को निकटतम अस्पतालों में बेहतर उपचार सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा सरकार ऐसे कार्मिकों को बाहर का रास्ता भी दिखने से गुरेज नहीं कर ही है जो अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं। इसी क्रम में सरकार ने विगत माह राजकीय मेडिकल काॅलेजों से पासआउट 234 गैरहाजिर बाॅण्डधारी चिकित्सकों के विरूद्ध वसूली के साथ ही बर्खास्तगी की कार्रवाई के निर्देश अधकारियों को दिये थे। जिसके फलस्वरूप गयाब चल रहे 178 चिकित्सकों ने वापस विभाग में ज्वाइनिंग दे दी है। जबकि 56 चिकित्सकों ने अंतिम चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। इन सभी गैरहाजिर 56 चिकित्सकों को बर्खास्त कर दिया गया है, साथ ही निदेशक चिकित्सा शिक्षा को गैरहाजिर सभी चिकित्सकों से बाण्ड की शर्तों के अनुरूप बाण्ड की धनराशि वसूलने के निर्देश भी दिये हैं।
डाॅ. रावत ने बताया कि बताया कि प्रदेश के राजकीय मेडिकल काॅलेजों में एक अनुबंध के तहत छात्र-छात्राओं को न्यूनतम फीस में एमबीबीएस पढ़ाई कराई जाती है। इस अनुबंध के तहत इन छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस की पढ़ाई सम्पन्न होने के बाद सूबे के पर्वतीय जनपदों के चिकित्सा इकाईयों में 5 वर्षों की सेवाएं देना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में इन चिकित्सकों को बाण्ड में निर्धारित धनराशि जमाकर विभाग से एनओसी लेनी होती है, तभी इन्हें इनके शैक्षिक प्रमाण पत्र लौटाये जाते हैं। अनुबंध की शर्तों का पालन न करने पर चिकित्सकों से बांड में निर्धारित धनराशि वसूलने का प्रावधान है।

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