पिता की शहादत के 25 साल बाद बेटा बना फौज में अफसर
देहरादून: इसी जज्बे से सरहदें सलामत हैं। वर्ष 1999 में करगिल युद्ध में बलिदान हुए लांस नायक कृष्णजी समरीत का बेटा प्रज्ज्वल समरित उन्हीं के नक्शे कदम पर चल निकला है। भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट वह फौज में अफसर बन गए हैं। आइआइएम इंदौर और आइआइएम कोझिकोड से आफर मिलने के बावजूद प्रज्ज्वल ने पिता का सपना पूरा किया और सेना में सेवा करने का साहसिक निर्णय लिया।
प्रज्वल के जन्म से ठीक 45 दिन पहले उनके पिता कारगिल युद्ध में बलिदान हो गए थे। अपने बड़े भाई कुणाल के इंजीनियरिंग में जाने के बाद, प्रज्वल ने पिता के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया, जो अंततः परिवार में सभी की इच्छा बन गई। हालंकि प्रज्वल के की राह आसान नहीं थी। उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नौ बार सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) में साक्षात्कार का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि बारहवीं कक्षा के बाद उन्होंने ड्राप किया और पहला एसएसबी पास किया। पर वह मेडिकल परीक्षण में चूक गए।
उसी साल वह पुणे चले गए और फर्ग्यूसन कालेज में बीएससी में दाखिला ले लिया। वह बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने सात और बार साक्षात्कार दिए। हर बार स्क्रीनिंग में आगे निकल गए, लेकिन कांफ़्रेंस में आउट हो गए। 8वें असफल प्रयास के बाद उन्होंने लगभग हार मान ली थी। लेकिन, मन में ख्याल आया कि एक आखिरी उम्मीद जिंदा रखनी है। आखिरी प्रयास था इसलिए उन्होंने एक मजबूत बैकअप योजना तैयार की।
कामन एडमिशन टेस्ट (कैट) क्रैक किया और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) इंदौर और कोझिकोड से आफर मिला। इसी बीच उनका एसएसबी भी क्लियर हो गया। आइआइएम पर उन्होंने आइएमए को तरजीह दी। उनकी मां सविता पुलगांव के आर्मी हास्पिटल में कार्यरत हैं। वह बेहद खुश हैं कि उनके बेटे ने पिता की ही तरह फौज में अपना भविष्य चुना।
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