केदारनाथ में लगाया गया 23 किलो सोना आखिर कहां गया? 2 साल बाद मंदिर समिति ने दिया जवाब केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का मामला इन दिनों खासा विवाद में है. कांगेस का कहना है कि केदारनाथ में लगाया गया 230 किलो सोना कहां गया? केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा के उपचुनाव भी प्रस्तावित हैं. इसिलिए पहली बार मंदिर समिति ने स्पष्टीकरण दिया है…
श्री केदारनाथ मंदिर को स्वर्ण जड़ित करने पर विवाद एक षडयंत्र का हिस्सा
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया में फैलाये जा रहे भ्रम को षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। कहा है कि दानी दाता द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की इच्छा प्रकट की गयी थी। दानीदाता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव का परीक्षण कर स्वर्णमंडित करने की अनुमति दी गयी।
बीकेटीसी ने स्पष्ट किया है कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है और श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख रेख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया।
बीकेटीसी द्वारा केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी गयी। बीकेटीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया है। दानी दाता द्वारा अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई गई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गई। दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया।
सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का सम्पूर्ण कार्य दानी द्वारा कराया गया। मन्दिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। अर्थात् सारा कार्य दानीदाता द्वारा किया गया। दानी दाता द्वारा अपने स्वर्णकार के माध्यम से गर्भ गृह में लगाई गई स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे। बीकेटीसी द्वारा नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है। दानस्वरूप किए गए इस कार्य हेतु दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा बीकेटीसी के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई और ना ही दानी दाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा-80 जी का प्रमाण पत्र मांगा।
उक्त दानी दाता द्वारा वर्ष 2005 में श्री बदरीनाथ मन्दिर गर्भगृह को भी स्वर्ण जड़ित किया गया था। मगर वर्तमान समय में एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत विद्वेषपूर्ण आरोप लगाये जा रहे हैं। यह सर्वविदित है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के मार्गदर्शन में सुव्यवस्थित यात्रा संचालन के कारण यात्री संख्या में भारी वृद्धि हुई है। खास कर श्री केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। यह बात क्षुद्र राजनीतिक तत्वों को रास नहीं आ रही है। ऐसे तत्व यात्रा को प्रभावित करने और केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं।
बीकेटीसी इस प्रकार का दुष्प्रचार करने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करेगी।
मीडिया प्रकोष्ठ
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति
केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का मामला इन दिनों खासा विवाद में है. कांग्रेस का कहना है कि केदारनाथ में लगाया गया 23 किलो सोना कहां गया, मंदिर समिति को इस पर स्पष्ट करना चाहिए. कांग्रेस यह भी सवाल उठा रही है कि गर्भगृह में लगाया गया सोना काला कैसे पड़ गया? क्या सोना नकली था? केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र भी है यहां जल्द ही विधानसभा के उपचुनाव भी प्रस्तावित हैं. इसिलिए पहली बार मंदिर समित को आगे आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा है.
केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को 2022 में स्वर्णमंडित कर बनाया गया. तब से ही लगातार सोने को लेकर विवाद होता रहा है. अब जाकर मंदिर समिति ने आगे आकर आधिकारिक तौर पर पूरी रशीदों और साक्ष्यों के साथ बयान जारी किया. मंदिर समिति के अनुसार केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने में 23 किलो 777.800 ग्राम सोने का उपयोग किया गया था, जिसका बाजार भाव 14 करोड़ 38 लाख है. इसमें एक हजार किलोग्राम कॉपर प्लेटों का प्रयोग किया गया, जिनकी कीमत 29 लाख है..मंदिर समिति के सीईओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया था. दानी दाता ने अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाईं और फिर उन पर सोने की परत चढ़ाई गई. दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कराया. सोना खरीदने से लेकर मंदिर में स्थापित करने का संपूर्ण कार्य दानी दाता द्वारा कराया गया. मंदिर समिति का कहना है कि उसकी प्रत्यक्ष रूप से इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
मंदिर समिति का कहना है कि इसी दानी दाता द्वारा 2005 बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह को भी स्वर्ण जड़ित किया गया था लेकिन एक सुनियोजित षड्यंत के तहत इस बार ही आरोप लगाए जा रहे हैं. समिति का कहना है कि जिस तरह से केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयासों के बाद केदारनाथ धाम का सौंद्रर्यीकरण किया गया और श्रदालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्वि हुई, वो क्षु्द्र राजनीतिक तत्वों को रास नहीं आ रही है. समिति ने दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.
दरअसल, केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र भी है..यहां से बीजेपी विधायक शैलारानी रावत का इसी महीने की शुरुआत में निधन हो गया था. इस सीट पर अब जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से केदारनाथ को लेकर राजनीति तेज है. हाल ही में दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास से विवाद शुरू हुआ तो इसमें मंदिर से सोना चोरी वाला मामला भी तूल पकड़ गया. राज्य में सरकार बीजेपी की है. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी बीजेपी के नेता है. इसलिए भी विपक्ष समिति और सरकार पर हावी है. यह भी एक कारण है कि दो साल बाद पहली बार समिति को आधिकारिक तौर पर बयान जारी करना पड़ा है.
इधर कांगेस केदारनाथ में भ्रष्टाचार और सनातन परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाते हुए केदारनाथ प्रतिष्ठा पद यात्रा निकाल रही है. 24 जुलाई को हरिद्वार में हरि की पैडी से शुरू हुई ये यात्रा पांच अगस्त को केदारनाथ में संपन्न होगी.कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करना माहरा इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित उपचुनाव से पहले शुरू हुए केदारनाथ विवाद और उस पर कांग्रेस की पदयात्रा से बीजेपी हलकों में बेचैनी है. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी संगठन में इस बात की चर्चा हुई कि केदारनाथ पर मंदिर समिति स्थिति स्पष्ट क्यों नही कर रही है. उसके बाद ही मंदिर समिति ने तथ्यों के साथ बयान जारी किया.
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