सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक सड़क की मरम्मत के लिए 200 करोड़ की दरकार
रुद्रप्रयाग। केदारघाटी व केदारनाथ को जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच भूस्खलन, भू-धंसाव जोन के साथ ही सड़क के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत आधुनिक तकनीक से की जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड लोनिवि प्रभावित क्षेत्र का प्रारंभिक सर्वेक्षण कर 200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इस प्रस्ताव को भारत सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेजा जाएगा। बीते 31 जुलाई को अतिवृष्टि के बाद से सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए इस मार्ग पर वाहनों का संचालन ठप पड़ा है।
80 किमी लंबे रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग तक ही वाहनों का संचालन हो रहा है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच हाईवे चार स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। जिस कारण गौरीकुंड तक वाहन संचालित नहीं हो पा रहे हैं। सोनप्रयाग से एक किमी आगे पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हो रहा है। यहां 150 मीटर क्षेत्र में पहाड़ी दरक रही है, जिससे सड़क वाहन तो दूर पैदल चलने लायक भी नहीं रह गई है। मुनकटिया में भी भूस्खलन जोन सक्रिय है। साथ ही दो अन्य स्थानों पर सड़क 50-50 मीटर तक ध्वस्त है, यहां पर सिर्फ दोपहिया वाहनों के संचालन के लिए जगह बची है। हाईवे के बाधित होने से बीते एक अगस्त से सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए छोटे वाहनों की आवाजाही भी पूरी तरह से ठप है। साथ ही पैदल आवाजाही में भी भूस्खलन जोन में खतरा बना है।
किए जाएंगे ये काम
इधर, राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड, लोनिवि ने सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच सड़क की मरम्मत करने के लिए 200 करोड़ की जरूरत बताई है। इस धनराशि से भूस्खलन जोन पर सोयल टेस्टिंग के बाद रॉक नेट व अन्य तकनीक से कार्य किया जाएगा। साथ ही अन्य स्थानों पर जहां सड़क का निचला हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है, वहां आरसीसी पुश्तों का निर्माण और ऊपरी तरफ पहाड़ी का कटान भी किया जाएगा।
प्रभावित क्षेत्र का प्रारंभिक सर्वेक्षण किया गया है, जिसके आधार पर सुधारीकरण की रूपरेखा तैयार कर प्रस्ताव बनाया जा रहा है। यहां स्थायी ट्रीटमेंट के लिए लगभग दो सौ करोड़ रुपये की जरूरत है। – निर्भय सिंह, ईई एनएच
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