नौ साल में 18, 464 प्राकृतिक आपदाओं ने दिए जख्म, 67 बार फटे बादल, पौड़ी में सबसे ज्यादा घटना
आपदा प्रबंधन विभाग के वर्ष 2015 से 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि हर साल हजारों आपदा आ रही हैं। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदा आई हैं।
राज्य को नौ वर्षों में बड़ी संख्या में प्राकृतिक आपदाओं ने जख्म दिए हैं। अतिवृष्टि-त्वरित बाढ़ से लेकर बादल फटने जैसी घटनाएं हुई हैं। इसमें जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। आपदा प्रबंधन विभाग राज्य में सड़क दुर्घटना, आग, भूस्खलन, भूकंप, बाढ़, कीट आक्रमण, हिमस्खलन, अतिवृष्टि-त्वरित बाढ़, व्रजपात, ओलावृष्टि, आंधी तूफान, डूबना, बहजाना, जंगली पशुओं का हमला, बादल फटना, वनाग्नि, बीमारी फैलना, विद्युत करंट, वनाग्नि की घटनाओं का विवरण तैयार करता है।
घटनाओं में मृत्यु, घायल, लापता होने की सूचना एकत्र की जाती है। इसके अलावा मकानों के आंशिक और पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने का रिकार्ड रखा जाता है। आपदा प्रबंधन विभाग के वर्ष 2015 से 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि हर साल हजारों आपदा आ रही हैं।
इसमें सबसे अधिक अतिवृष्टि-त्वरित बाढ़ के हैं, जिसकी 12758 घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा भूस्खलन भी चुनौती बना हुआ है। चार हजार से अधिक भूस्खलन की घटनाएं विभिन्न जिलों में हुई। बादल भी 67 बार फट चुके हैं। सबसे अधिक बादल फटने की घटना पौड़ी जिले में हुई हैं।
राज्य में घटनाएं
भूस्खलन-4654
बादल फटना-67
हिमस्खलन-92
आंधी तूफान-634
व्रजपात-259
अतिवृष्टि-बाढ़-12758
उत्तरकाशी में 1525 घटनाएं हुई
उत्तरकाशी में नौ साल में भूस्खलन, बाढ़, अतिवृष्टि-त्वरित बाढ़, हिमस्खलन, व्रजपात, ओलावृष्टि, बादल फटना, जंगल की आग समेत आदि की 1525 घटनाएं हुई हैं। इस अवधि में केवल एक बार जिले में बादल फटने की घटना रिपोर्ट हुई है।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए प्रयास किया जाता है। जहां पर भूस्खलन हुआ है, वहां पर उपचार का काम किया गया है। इसके अलावा अध्ययन भी कराया गया है। – विनोद कुमार सुमन, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास

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