।जिन्हें किया था पेपर लीक में डिबार, उन 375 में से 130 अभ्यर्थी हो रहे भर्तियों में शामिल
ज्यादातर को हाईकोर्ट ने इस आधार पर स्टे दे दिया, क्योंकि पुलिस ने पेपर लीक में इन्हें मुलजिम ही नहीं बनाया। या तो सरकारी गवाह बना लिया या फिर समय से हाईकोर्ट में इनके नकल में शामिल होने का सबूत नहीं दे पाई।
उत्तराखंड में पेपर लीक प्रकरणों में जिन 375 छात्रों को आरोपी मानते हुए उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पांच-पांच साल के लिए प्रतिवारित (डिबार) किया था, उनमें से 130 अभ्यर्थी परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं।
इनमें से ज्यादातर को हाईकोर्ट ने इस आधार पर स्टे दे दिया, क्योंकि पुलिस ने पेपर लीक में इन्हें मुलजिम ही नहीं बनाया। या तो सरकारी गवाह बना लिया या फिर समय से हाईकोर्ट में इनके नकल में शामिल होने का सबूत नहीं दे पाई। आयोग ने जेई भर्ती में 71 अभ्यर्थियों को डिबार किया था, जिनमें से 38 को हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया था।
एई भर्ती में आयोग ने नौ को डिबार किया था, जिनमें से छह को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया था। पटवारी भर्ती में 44 को डिबार किया था, जिनमें 21 को स्टे मिल गया। जूनियर असिस्टेंट भर्ती में एक और एपीएस भर्ती में एक डिबार मिलाकर आयोग ने कुल 126 को डिबार किया, जिनमें से 65 हाईकोर्ट से स्टे पर हैं। यह सशर्त भर्ती परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
यूकेएसएसएससी : आठ भर्तियों में 249 डिबार, 65 को स्टे
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्नातक स्तरीय भर्ती में 112, वन दरोगा ऑनलाइन भर्ती में 20, सचिवालय रक्षक भर्ती में 14, वीपीडीओ भर्ती में 34, वन आरक्षी भर्ती में 47, तकनीशियन ग्रेड-2 भर्ती में छह, कनिष्ठ सहायक में एक और सहायक अध्यापक एलटी भर्ती में 15 मिलाकर 249 अभ्यर्थियों को पेपर लीक का आरोपी मानते हुए पांच-पांच साल के लिए डिबार कर दिया था। इनमें से करीब 65 अभ्यर्थी हाईकोर्ट से स्टे ले आए थे, जिसके बाद सशर्त भर्तियों में शामिल हो सकते हैं।
मुलजिम नहीं बने तो मिल गई राहत
दोनों आयोगों ने 375 अभ्यर्थियों को कई भर्तियों में पेपर लीक का आरोपी मानते हुए डिबार किया, लेकिन पुलिस ने अपनी जांच में इन्हें मुलजिम नहीं बनाया। इनमें से तमाम छात्रों को सरकारी गवाह बना दिया गया। आयोग से सूची जारी होने के बाद जब अभ्यर्थी इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए तो पुलिस वहां समय पर इनके पेपर लीक में शामिल होने का प्रमाण भी नहीं दे पाई। इन सभी आधार पर हाईकोर्ट से अभ्यर्थियों को राहत मिल गई थी।
आंतरिक जांच के सभी सबूत करेंगे कोर्ट में पेश
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया का कहना है कि आंतरिक जांच के आधार पर तमाम ऐसे सबूत हैं जो डिबार अभ्यर्थियों को पेपर लीक में शामिल होने का प्रमाण हैं। लिहाजा, हमने तय किया कि जल्द ही हाईकोर्ट के समक्ष सभी सबूत पेश किए जाएंगे, जिससे इन अभ्यर्थियों का डिबार का आदेश जारी रहे। उधर, राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के अधीन ही अभ्यर्थियों को मौका मिला है। आदेश जो भी होगा, उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
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