नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर दिनभर चले ड्रामे का हुआ अंत, अब दोबारा होंगे चुनाव
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पांच सदस्यों के शपथपत्र भी पेश किए गए जिसमें कहा गया कि वो बाहर गए हैं और वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं। अदालत ने इन शपथपत्रों पर सवाल खड़े किए और DM व SSP को सख्त डांट लगाई।
उत्तराखंड के नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गुरुवार को दिन भर चले सनसनीखेज घटनाक्रम का शाम को नाटकीय अंत हो गया है। हाई कोर्ट ने इस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया और अब यहां दोबारा चुनाव होंगे। इससे पहले चुनाव और पंचायत सदस्यों को अगवा करने को लेकर दिन भर आरोप-प्रत्यारोप चला। कांग्रेस ने भाजपा पर अपने 5 सदस्यों को किडनैप करने का आरोप लगाया। जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। इस दौरान हाई कोर्ट ने ना केवल प्रशासन की खिचाई की, बल्कि इस सीट पर मतगणना भी रुकवा दी। जिसके बाद जिलाधिकारी ने यहां दोबारा चुनाव कराने को लेकर सिफारिश करने की बात कही है। विवाद के चलते इस सीट पर मतगणना भी रोक दी गई और बाद में चुनाव भी रद्द कर दिया गया।
दोबारा चुनाव को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) वंदना सिंह राज्य निर्वाचन आयोग को सिफारिश करेंगी। यह बात उन्होंने आज मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली डबल बेंच के सामने देर शाम को हुई सुनवाई के दौरान स्पष्ट रूप से कही। दरअसल भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट को लेकर आज दिन भर नाटकीय घटनाक्रम चला। इस दौरान दोनों में डाल-डाल और पात-पात का खेल चलता रहा।
बताया जा रहा है कि सुबह प्रतिपक्ष के नेता यशपाल आर्य, उप नेता भुवन कापड़ी, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश और पूर्व विधायक संजीव आर्य के नेतृत्व में कथित रूप से कांग्रेस समर्थित 15 जिला पंचायत सदस्य मतदान करने पहुंचे। मतदान केन्द्र से पहले भाजपा और कांग्रेस समर्थकों में जबरदस्त धक्कामुक्की और झड़प हो गई।
कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा कार्यकर्ता उसके पांच जिला पंचायत सदस्यों को अपने साथ ले गए। हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस और प्रशासन की ओर से नहीं की गई। इसके बाद कांग्रेस नेता 10 जिला पंचायत सदस्यों को लेकर हाईकोर्ट जा धमके और कांग्रेस समर्थित अधिवक्ताओं के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश की अदालत के समक्ष इस मामले को लाया गया। अदालत ने भी देर नहीं की और तुरन्त मामले का संज्ञान ले लिया। कांग्रेस ने अपने 5 सदस्यों के अपहरण का आरोप लगाया।
इसके बाद कोर्ट ने डीएम और एसएसपी को कोर्ट में तलब किया और कांग्रेस के पांचों सदस्यों को ढूंढकर लाने को लेकर सख्त निर्देश दिए। शाम को पांच बजे फिर सुनवाई हुई, तब तक 27 में से 22 मत पड़ चुके थे। इसी बीच एसएसपी ने कोर्ट को बताया कि पांच सदस्यों का कोई पता नहीं चल पाया है और पुलिस उन्हें तलाश कर रही है। इसके बाद उन्होंने अदालत से कुछ समय की मांग की।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पांच सदस्यों के शपथपत्र भी पेश किए गए जिसमें कहा गया कि वो बाहर गए हैं और वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं। इनमें से दो के शपथपत्र आज दो बजे के बाद भेजे गए थे। इनमें चुनाव में हिस्सा नहीं करने की बात कही गई थी। अदालत ने इन शपथपत्रों पर सवाल खड़े किए और डीएम व एसएसपी को सख्त डांट लगाई। इस बीच कांग्रेस लापता पांच सदस्यों में से तीन के परिजनों को कोर्ट में ले आई और लापता जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगाया।
इसी बीच यह भी पता चला कि कांग्रेस पार्टी की ओर से सभी 15 जिला पंचायत सदस्यों को कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश के नैनीताल स्थित निवास में पिछले कई दिनों से रखा गया था। कांग्रेस नेताओं ने अदालत और मीडिया के समक्ष यह बयान भी दिया कि 15 सदस्यों के मतदान के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले विजयी प्रमाण पत्र भी उनके पास मौजूद हैं। हालांकि महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज की गई और कहा गया कि 15 सदस्यों के प्रमाण पत्र कांग्रेस नेताओं के पास क्यों हैं?
इसी बीच जिला निर्वाचन अधिकारी वंदना की ओर से अदालत को बताया गया कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर चुनाव आयोग ने मतदान की अवधि दो घंटे और बढ़ा दी है और शाम पांच बजे तक मतदान प्रक्रिया जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे घटनाक्रम को देखते हुए वह राज्य निर्वाचन आयोग को तत्काल रिपोर्ट भेज रही हैं जिसमें दुबारा चुनाव करने की सिफारिश कर रही हैं।
इधर भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष की उम्मीदवार दीपा दरम्वाल की ओर से तल्लीताल थाना में यशपाल आर्य समेत कांग्रेस के चार नेताओं के खिलाफ तहरीर देकर मारपीट और भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को गायब करने का आरोप लगाया गया। इसके जवाब में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उन्होंने भी संबद्ध थाना में तहरीर दी लेकिन पुलिस ने लेने से इनकार कर दिया है।
अंत में अदालत ने सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए एसएसपी और डीएम को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। खबर लिखे जाने तक जिलाधिकारी की ओर से रिपोर्ट तैयार की जा रही थी। बता दें कि इस सीट का परिणाम फिलहाल घोषित नहीं किया गया है। मतदान के तुरंत बाद मतगणना का कार्य होना था जिसे रोक दिया गया है। जिलाधिकारी की सिफारिश पर निर्वाचन आयोग दोबारा चुनाव को लेकर फैसला करेगा।

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