एक और नया फ्रॉड वॉयस क्लोनिंग या कहें आवाज की नकल के द्वारा फ्रॉड
सीन 1: आपके मोबाइल की स्क्रीन जगमगाती है और उसपर एक अनजान नंबर दिखाई देता है. आप कॉल उठाते हैं और जैसा होता है ‘हेलो’ बोलते हैं. दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आती तो आप दोबारा से ‘हेलो’ बोलते हैं. तीसरी बार भी ऐसा होता है, फिर आप खीजकर कॉल काट देते हैं. थोड़ी देर मन में अपने टेलिकॉम ऑपरेटर को घटिया नेटवर्क के लिए कोसते हैं और फिर बात आई-गई हो जाती है. एकदम नॉर्मल सा सीन.
सीन 2: अचानक एक दिन आपके पास आपकी मां, पत्नी, पिता, भाई या बहन का फोन आता है और वो आपसे घबराई हुई आवाज में आपकी कुशल छेम पूंछते हैं. आप किस हॉस्पिटल में एडमिट हो या फिर किस पुलिश स्टेशन में हो, ये जानने की कोशिश करते हैं. आप चौंक कर कहते हैं- अरे भाई मैं तो एकदम ठीक हूं. असल झटका तो तब लगता है जब घर वाले आपको बताते हैं कि अभी तो तुम्हारा फोन आया था. तुमने कहा कि तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया था. पैसे की जरूरत है. घबराए घरवालों से बताए गए अकाउंट या मोबाइल नंबर पर पैसे ट्रांसफर भी कर दिए.
सीन 3: आपको पता चल चुका है कि आप अपराध के उस तरीके का शिकार बने हैं जो मार्केट में ज्यादा पुराना नहीं है. वॉयस क्लोनिंग या कहें आवाज की नकल. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से संबंधित इंसान की आवाज बनाकर किडनैपिंग, लूट, धमकी को अंजाम देने का तरीका. इस तरीके के अपराध के किस्से आजकल बहुत आम हैं. मगर क्या कभी आपने सोचा कि आपकी आवाज का नमूना आखिर मिला कहां से.
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