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Big breaking :-नियम कानून सख्त, लागू कराने को नहीं वक्त…नशा मुक्ति केंद्रों में थम नहीं रही हैं घटनाएं

नियम कानून सख्त, लागू कराने को नहीं वक्त…नशा मुक्ति केंद्रों में थम नहीं रही हैं घटनाएं

मानसिक स्वास्थ्य नियमावली में नशा मुक्ति केंद्र संचालन के लिए कड़े नियम हैं। नियमों के बावजूद नशा मुक्ति केंद्रों में घटनाएं थम नहीं रही हैं। प्रदेश भर में संचालित 116 नशा मुक्ति केंद्रों में अकेले देहरादून जिले में 84 हैं।

प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के लिए नियम कानून सख्त है। लेकिन नियमों को लागू करने के लिए सिस्टम के पास वक्त नहीं है। कड़े नियमों के बावजूद नशा मुक्ति केंद्रों में घटनाएं थम नहीं रही है। प्रदेश भर में 116 पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्र हैं। इसमें अकेले देहरादून जिले में 84 केंद्र चल रहे हैं।

नशा मुक्ति केंद्रों में मानसिक रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा देने के लिए प्रदेश सरकार ने जुलाई 2023 में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू करने को मंजूरी दी। इससे पहले प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्रों पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं था।

नियमावली में इन केंद्रों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया। इसके अलावा केंद्र में सेवाएं देने वाले मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पंजीकरण की व्यवस्था है। नियमावली को लागू करने और नशा मुक्ति केंद्रों पर निगरानी के लिए राज्य व जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया। लेकिन, नशा मुक्ति केंद्र नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। इसके लिए कई महीनों तक निरीक्षण तक नहीं किया जा रहा है।
दो साल सजा और पांच लाख जुर्माना

मानसिक स्वास्थ्य नियमावली में नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए सख्त नियम है। पहली बार में नियमों का उल्लंघन करने पर पांच से 50 हजार रुपये जुर्माना, दूसरी बार में दो लाख और बार-बार उल्लंघन पर पांच लाख जुर्माना किया जाएगा। बिना पंजीकृत नशामुक्ति केंद्रों में काम करने वाले कर्मचारियों पर 25 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया। यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पहली बार में छह माह की जेल या 10 हजार रुपये जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर दो वर्ष की जेल या 50 हजार से पांच लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।

ये भी नियम

नशामुक्ति केंद्रों में मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बनाकर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर ही नशामुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्रों को फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सक, मनोचिकित्सक को रखना होगा। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

नशा मुक्ति केंद्रों में मानसिक रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा के लिए मानसिक स्वास्थ्य नियमावली में जुर्माने व सजा का प्रावधान है। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण गठित है। जिसके माध्यम से केंद्रों का पंजीकरण करने के साथ ही नियमों का पालन कराया जाता है।-डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

देहरादून जिले में 84 नशा मुक्ति केंद्र पंजीकृत हैं। समय-समय पर नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण किया जाता है। प्राधिकरण में अलग-अलग विभागों अधिकारी व एनजीओ के प्रतिनिधि सदस्य होते हैं। कई बार निरीक्षण के लिए सभी सदस्य उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। शीघ्र ही नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण किया जाएगा। नियमों का उल्लंघन होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।-डॉ. मनोज कुमार शर्मा, सीएमओ

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Author: Swati Panwar
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