राष्ट्रीय खेलों में ताकत झोंकने वाले 272 कोचों को झटका, इसी माह खत्म हो रहा है कांट्रेक्ट
देवभूमि को खेलभूमि बनाने की योजना शुरुआत में ही लड़खड़ाती नजर आ रही है। इन सभी कोचों का कॉन्ट्रैक्ट नए बजट के अनुसार 28 फरवरी के बाद रिन्यू किया जाना था।
38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में खिलाड़ियों के साथ ताकत झोंकने वाले 272 कॉन्ट्रैक्ट कोचों को भी बजटीय झटका लगा है। उनके वेतन (मानदेय) के लिए बजट में 11 करोड़ रुपये आने थे, लेकिन मिले सिर्फ 10 लाख। इसी फरवरी में इनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है जिसके बाद इन्हें किसी तरह का मानदेय नहीं मिलेगा।
बजट में इस कटौती ने खेल विभाग को सबसे ज्यादा बेचैन किया है। वैसे तो बजट को लेकर कई स्तर पर असंतोष है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट कोच वाली राशि में कटौती से उनकी सेवाओं पर विराम लगने की नौबत आ गई है। इसके साथ ही देवभूमि को खेलभूमि बनाने की योजना शुरुआत में ही लड़खड़ाती नजर आ रही है। इन सभी कोचों का कॉन्ट्रैक्ट नए बजट के अनुसार 28 फरवरी के बाद रिन्यू किया जाना था।
राज्य के पास स्थायी कोच 25 से 30 ही हैं। राष्ट्रीय खेलों के चलते नियुक्त किए गए 272 कॉन्ट्रैक्ट कोचों के बूते उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक नतीजे आए। अब ये सभी कोच खेल के विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के जरिये पूरे साल लगने वाले प्रशिक्षण शिविरों में अच्छे खिलाड़ी तैयार करने के लिए उत्साहित थे। लेकिन, इन्हें बड़ी निराशा हाथ लगी है।
अन्य के लिए तो अनुपूरक बजट आ जाएगा, कोचों के लिए क्या
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि 850 करोड़ की जगह महज 250 करोड़ का बजट मिलने से राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेताओं की इनामी राशि भी विभाग के पास नहीं है। हो सकता है कि जिस समय बजट बनाने की प्रक्रिया हुई, उस समय यह अनुमान नहीं था कि राष्ट्रीय खेलों का ऐसा भव्य आयोजन होगा और 103 खिलाड़ी पदक लाएंगे
खिलाड़ियों की इनामी राशि और अन्य खर्च अनुपूरक बजट में मिल सकते हैं, लेकिन जिस तरह से कॉन्ट्रैक्ट कोच के मानदेय की राशि में स्वीकृति के बावजूद गोल-मोल कर दी गई, उससे हैरानी और निराशा है। ये सभी कोच उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों से हैं, अलग जिलों में खेल जिम्मेदारियां संभालते हैं। अगले महीने से इनका वेतन कहां से दें, यह सवाल खड़ा हो गया है।
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